प्रशासन के साथ समाज सेवी भी बने मूकदर्शक..
रिपोर्ट – सत्यप्रकाश गुप्ता
सिपाह इब्राहिमाबाद (मऊ )।
हफ्तों से पड़ रही हाड़ कँपा देने वाली भयावह ठंड के बावज़ूद परिदृश्य से सार्वजनिक अलावों का पूरी तरह नदारद होना प्रशासनिक और सामाजिक संवेदनहीनता को रेखांकित करता प्रतीत होता है | सिपाह इब्राहिमाबाद बाजार में काम- काज के सिलसिले में आने वाले नागरिकों विशेषकर बीमारों, बच्चों व बुजुर्गों का भीषण सर्दी के इस दौर में बुरा हाल है हालांकि परेशान तो आम- ओ- खास सभी हैं |
कतिपय नागरिकों ने प्रशासनिक उदासीनता व सामाजिक अवमूल्यन पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि, सरकार तो सरकार सामाजिक स्तर पर भी मानवीय मूल्यों का लुप्तप्राय होना बेहद चिंताजनक है | हमारे सारे लोकोपयोगी व पुण्य प्राप्ति के कथित कृत्य संकीर्ण स्वार्थों के इर्द – गिर्द मँड़राने लगे हैं | कहा कि, यदि यह चुनावी वर्ष होता तो न जाने कितने स्वयं – भू समाज सेवियों का अवतार होता और आवश्यकता के सापेक्ष कहीं अधिक सार्वजनिक अथवा व्यक्तिगत अलावों से जनसामान्य को गरमाहट मिलती | फिलहाल चुनावी साल न होना तमामतर लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है |लोग चाहते हैं साल भर किसी न किसी चुनाव की सर गर्मी बनी रहे लेकिन सरकार है कि सारे चुनावों को एक साथ कराने का मंसूबाबंदी किए जा रही।