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समाज में ल़डकियों को अपने कविता के माध्यम से संदेश दे रहीं हैं = साक्षी गुप्ता

नयी ऋचायें .नयी कलम
क्यों तेरी मैं पंक्तिया रूढ़िबद्ध करूंगी !
आज की बेटी हूं नयी कविता हूं
क्यों किसी किसी की भावना को मैं बद्ध करूंगी
मेरी कल्पनाएँ. मेरी भावनाएं
अपनी रचना को ही मैं आबद्ध करूंगी.
स्वतंत्र भावनायें मेरी कलम की है.
अनंत आसमाँ से ही संबद्ध करूंगी.
किसी डोर की पतंग मैं नहीं हूं.
अपने पंखों से ही मैं अनुबंध करूंगी.
आज की साक्षी हूं मैं नयी पंक्तिया हू.
नए विचारो को ही मैं प्रतिबद्ध करूंगी

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