सम्वाददाता राजेश कुमार मिश्रा
धर्मारण्य (श्री गया धाम) में अपने माता-पिता जी के द्वारा अपने पितरों को पिंडदान कराने आए परम पूज्य श्री नीरज भास्कर जी महाराज नें धर्मारण्य में त्रिपिंडी श्राद्ध के महत्व के बारें में विस्तार से बतलाया।उनके साथ आए औरंगाबाद जिले के प्रसिद्ध आचार्य श्री रुपेश पाठक जी ने त्रिपिंडी श्राद्ध विधिपूर्वक संपन्न करवाया।
उन्होंने महाभारत के एक प्रसंग का स्मरण करते हुए बतलाया कि महाराज युधिष्ठिर ने अपने पितरों की मुक्ति हेतू इसी स्थान पर एक भवन यज्ञ का आयोजन किया था।अपने सभी पितरों के मुक्ति के लिए यहां पर त्रिपिण्डी श्राद्ध किया था।उन्होंने बताया कि यहा पर पिण्ड दान करने से पितरों की आत्मा को शान्ति मिलती है।
बतलाते चलें कि श्री नीरज भास्कर जी महाराज श्री मद्भागवत एवं श्री राम कथा के सुप्रसिद्ध कथा व्यास हैं।
महाराज श्री की कथा की शैली इतनी मधुर और शास्त्रीय है कि श्रोता बरबस ही कथा पांडाल की ओर खींचे चले आते हैं।
